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Hello and Welcome to the GreyMatters Podcast.


आज World No-Tobacco Day है, विश्व तंबाकू निषेध दिवस। आप तंबाकू का सेवन करते हों, या न करते हों, लेकिन आज की चर्चा को आपको अंत तक जरूर सुनना चाहिए।


रफी साहब का गाया यह लोकप्रिय गीत आपने भी जरूर सुना होगा...


(यहां गाना 'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता....' तक प्ले करना है।)


जी हां, आपके आसपास भी कुछ लोग होंगे, जो सिगरेट का धुआं उड़ाने या अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन के लिए ऐसे बहाने दोहराते होंगे। पर क्या आप जानते हैं कि ऐसा करने वाले लोग जिंदगी का साथ निभाने की बजाय उसे कितने बड़े खतरे में डाल रहे हैं?


विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू के सेवन से दुनिया में हर साल 70 लाख से ज्यादा, जबकि भारत में 10 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो जाती है। एक शोध के मुताबिक भारत में हर 9वां व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में तंबाकू का सेवन करता है। 


यह स्थिति तब है, जबकि विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके सेवन से फेफड़े, लिवर, मुंह के कैंसर सहित कई प्रकार के रोग होते हैं, हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भारी कमी हो जाती है। कोरोना काल में हुए एक सर्वे के मुताबिक धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने वालों को कोरोना के जोखिम का अन्य लोगों के मुकाबले 40-50% तक अधिक सामना करना पड़ा है। 


तंबाकू का सेवन बीमारियों और मौत को न्योता देने के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास और पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। तंबाकू की खेती, उत्पादन और वितरण का हमारे पर्यावरण पर अत्यंत विपरीत असर पड़ता है।


तंबाकू उत्पादों के सेवन से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए World Health Organisation ने 1987 में एक resolution pass किया और इसके प्रति जनजागरूकता के उद्देश्य से विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की गयी। हालांकि पहली बार यह दिवस 7 अप्रैल 1988 को मनाया गया था, लेकिन 1988 में ही एक अन्य प्रस्ताव पारित कर इसे हर वर्ष 31 मई को मनाने की घोषणा की गयी। तब से हर वर्ष इस दिन दुनियाभर में तंबाकू और इसके उत्पादों के सेवन के घातक परिणामों के प्रति लोगों में जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस दिवस को हर वर्ष एक नई theme के साथ  मनाया जाता है और इस वर्ष की थीम है- 'पर्यावरण के लिए खतरनाक है तंबाकू'।


तो आइए, आज तंबाकू और पर्यावरण से जुड़े कुछ जरूरी तथ्यों को जानते हैं।


WHO की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू उगाने से हर वर्ष करीब 3.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि की उत्पादकता नष्ट होती है। तंबाकू की खेती से मिट्टी के पोषक तत्वों में कमी तो आती ही है, कृषि रसायनों के भारी इस्तेमाल के कारण जल, मिट्टी और पर्यावरण के प्रदूषण को भी बढ़ावा देती है।


तंबाकू उत्पादों को बनाने और पैकेजिंग में तथा उसके कचरे को निपटाने में पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। तंबाकू और इसके कचरे को जलाने से निकलने वाला धुआं बड़ी मात्रा में मानव कार्सिनोजेन्स, जहरीले पदार्थ तथा 84 मेगा टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर annual ग्रीनहाउस गैसों को वातावरण में समाहित करता है, जो वैश्विक तापमान को बढ़ाने में मददगार है।


मतलब साफ है, तंबाकू उत्पाद आपको बीमार तो बना ही रहे हैं, पर्यावऱण को भारी नुकसान पहुंचा कर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं।


तो क्या इस तंबाकू निषेध दिवस पर आप अपने खुद के स्वास्थ्य और अपनी आनेवाली पीढ़ियों के पर्यावरण की रक्षा के लिए एक नई शुरुआत करेंगे? 


जीवन और पर्यावरण दोनों अनमोल है, इसे धुएं में उड़ा कर या 'अस्सी चुटकी नब्बे ताल' लगा कर बर्बाद न करें।


तंबाकू उत्पादों का सेवन छोड़िए, जीवन और पर्यावरण को बचाइए। खुद तो जागरूक होइए ही, अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करिए।


यह थी GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी अपील। अंत तक सुनने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। फिर मिलेंगे, एक नये विषय के साथ।




#WorldNoTobaccoDay  #tobacco #health #WHO