स्वर्गलोक और नरक हमारे ही भीतर हैं. यही सत्य है. इनके द्वार भी हमारे ही अंदर हैं. यदि हम सतर्क नहीं हैं तो यह नरक का द्वार है. यदि हम चौकस और सचेत हैं तो यह स्वर्गलोक का द्वार है. परंतु अक्सर लोगों को लगता है कि स्वर्ग और नरक कहीं बाहर हैं. स्वर्ग और नरक मरनोपरांत जीवन नहीं हैं. यह दोनों यहीं वर्त्तमान में हैं. उनके द्वार सदा खुले रहते हैं. हर पल हम स्वर्ग व नरक में चयन करते हैं. निरंतर जागरूकता का अभ्यास करने से हम सही चुनाव करने में अवश्य सफल हो सकते हैं.

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