संजय कुमार शर्मा @ स्पोर्ट्सडेस्क। भारत और न्यूजीलैंड के बीच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला इंग्लैंड के साउथम्पट्टन के हैंपशायर बाउल मैदान पर खेला जा रहा है। मैच का रिजर्व डे के अनुसार छठा दिन है और आज अंतिम दिन प्रशंसकों को परिणाम का इंतजार रहेगा। हालांकि अंतिम दिन और मैच की स्थिति को देखते हुए ड्रॉ के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं। लेकिन आईसीसी के इतने बड़े टूर्नामेंट में यदि परिणाम निकलकर नहीं आता तो वर्तमान में क्रिकेट देखने वाले भी ठगा सा महसूस करते हैं। क्योंकि प्रशंसक भी अंतिम परिणाम जीत और हार में तय करता है न की ड्रॉ जैसी स्थिति का।

टीम इंडिया अंतिम दिन मैच में दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरेगी। अब देखना होगा कि टीम मैच में किस तरह से प्रदर्शन करती है। यदि टीम का प्रदर्शन तेजतर्रार वाला रहा तो लग जाएगा की टीम जीत के लिए खेल रही है। यदि खेल डिफेंसिव रहा तो ड्रॉ पक्का है।

क्रिकेट को जानने और समझने वालों ने वर्तमान समय को देखते हुए ड्रॉ जैसी कंडीशंड पर विकल्प की मांग की है।क्योंकि एक तरफ अन्य खेलों में ड्रॉ के बाद जीत-हार का फैसला करने के लिए अन्य विकल्प मौजूद हैं। लेकिन क्रिकेट में वो भी टेस्ट में ड्रॉ के बाद कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण दोनों टीमों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित करना पड़ता है। हालांटी टी-20 में सुपर ओवर इसका अच्छा उदाहरण है। या तो फिर इसी तरह का एक सुपर ओवर टेस्ट क्रिकेट में भी होना चाहिये।

जब 3 घंटे के खेल टी-20 का एक ओवर से फैसला किया जा सकता है तो टेस्ट क्रिकेट में 5 दिन तक चलने वाले मुकाबले का अंत ड्रॉ ही क्यों रहे। क्या दर्शक ड्रॉ परिणाम के रूप में मैच देखने पहुंचे हैं। नहीं। टेस्ट क्रिकेट की खूबसूरती और इसका लंबे समय तक टिके रहना तभी कारगर होगा जब इस फॉर्मेट में परिणाम निकलने लगेंगे।

हर सीरीज में एक ना एक टेस्ट मैच तो ड्रॉ रहता ही है। परिणाम निकलने लगेंगे तो प्रशंसक लगातार जुड़ा रहेगा। क्योंकि टेस्ट क्रिकेट से ही क्रिकेट की शुरुआत हुई है। टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट का रोमांच है। यहीं से एक खिलाड़ी की वास्तविक रूप से पहचान भी होती है। अपनी पारी को आप कितना लंबा खींच पाओगे या आप कितने ओवर का स्पैल कर पाओगे।