इंटरनेट डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मंगलवार को नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम सेउज्जवला योजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। इस दौरान उज्जवला योजना के दूसरे चरण की शुरूआत उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से की गई। यहां कुछ महिलाओं को गैस चूल्हा व गैस कनेक्शन सौंपकर इस योजना के दूसरे चरण को विधिवत् रूप से शुरू किया गया। इस दौरान महोबा में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा किउज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों और महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वो अभूतपूर्व है। ये योजना 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से आजादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे की धरती से शुरू हुई थी। आज उज्ज्वला का दूसरा संस्करण भी उत्तर प्रदेश के ही महोबा की वीरभूमि से शुरू हो रहा है।

उज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों और महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वो अभूतपूर्व है। ये योजना 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से आजादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे की धरती से शुरू हुई थी। आज उज्ज्वला का दूसरा संस्करण भी उत्तर प्रदेश के ही महोबा की वीरभूमि से शुरू हो रहा है: PM pic.twitter.com/HfW1uO6Pv7

— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 10, 2021

एएनआई न्यूज एजेंसी के हवाले से पीएम मोदी ने उज्जवला योजना के तहत लाभार्थियों से बातचीत के दौरान हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा किदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार हो गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि ओलंपिक में हमारे युवा साथियों के अभूतपूर्व प्रदर्शन के बीच खेल रत्न के साथ जुड़ा दद्दा ध्यानचंद का ये नाम लाखों-करोड़ों युवाओं को प्रेरित करेगा।

I would also like to remember Hockey legend Major Dhyan Chand after whose name Khel Ratna has been renamed. This will inspire lakhs of people who want to pursue sports. This Olympics, our athletes not only won medals but also signalled a bright future of Indian sports: PM Modi pic.twitter.com/0uDQa5TQOY

— ANI UP (@ANINewsUP) August 10, 2021

पीएम मोदी ने कहा किहम बीते साढ़े 7 दशकों की प्रगति को देखते है तो हमें लगता है कि कुछ स्थितियां और हालात ऐसे हैं जिनको कई दशक पहले बदला जा सकता था। घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देशवासियों को दशकों इंतज़ार करना पड़ा, ये दुखद है।



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