मुझे रख दिया छांव में,


खुद जलते रहे धूप में,


मैंने देखा है एक फरिश्ता,


मेरे पिता के रूप में...




हेलो दोस्तों! ग्रेमैटर्स पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!


आज जून महीने का तीसरा रविवार है। इस दिन को दुनिया 'Father's Day' के रूप में मनाती है।


'फादर्स डे', यानी पिता को समर्पित एक दिन।


तो आज आपको पिता और पुत्र की एक मर्मस्पर्शी कहानी सुनाती हूं...


एक लड़का पिता से झगड़ा कर गुस्से में घर से निकला और बस स्टैंड की तरफ तेजी से जाने लगा; यह बड़बड़ाते हुए कि पता नहीं पापा ने कितने पैसे छुपा रखे हैं, पर मेरे लिए एक बाइक भी नहीं खरीद सकते!


उसे पैरों में कुछ चुभने का अहसास हुआ। नीचे देखा तो पाया कि जल्दी में उसने पापा के जूते पहन लिये हैं! जूते में एक कील उभरी हुई थी, जो उसके पैरों में चुभ रही थी। लेकिन, वह गुस्से में बढ़ता चला गया।


फिर उसे याद आया कि उसने तो घर से भागने के ख्याल से पापा का पर्स भी चुरा कर अपने पास रख लिया है। वह पुराना पर्स, जिसे पापा किसी को हाथ भी लगाने नहीं देते थे। उसने सोचा था, पर्स में काफी पैसे होंगे।


लेकिन यह क्या! पर्स खोला तो उसमें पैसे थे ही नहीं! पैसों की जगह एक मिनी डायरी थी। उसने सोचा, जरूर पापा की सेविंग का राज इसी में लिखा होगा। लेकिन, जब उसने डायरी को पढ़ना शुरू किया तो उसे जोर का झटका लगा! डायरी में जो लिखा था, उसकी उसे कतई उम्मीद नहीं थी। डायरी में उन पैसों का हिसाब था, जो पापा ने उसके सपनों को पूरा करने के लिए अलग-अलग लोगों से उधार लिये थे।


एक पन्ने पर था, 50,000 रुपये बेटे के लैपटॉप के लिए। यह वही लैपटॉप था, जिसे उसने ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए खरीदवाया था। लेकिन, उसने कभी सोचा ही नहीं कि पापा ने इसके पैसे कहां से लाये होंगे!


डायरी में उस कैमरे के लिए लिये गये उधार का भी हिसाब था, जिसे उसने अपने जन्मदिन पर जिद कर पापा से गिफ्ट लिया था; जिसे पाकर वह खुशी से झूम उठा था और उसे खुश देख कर पापा भी काफी खुश नजर आये थे।


लड़के का गुस्सा गायब हो चुका था। वह बस स्टैंड पहुंच चुका था। वहां बेंच पर बैठ कर उसने डायरी का अगला पन्ना पलटा। उसमें पापा की कुछ अपनी जरूरतें लिखी थीं। पहली थी- नये जूते!


उसने पापा के जूते को हाथ में लेकर देखा, वह कई जगह से फट रहा था। उसे तुरंत मां की बात याद आई। घर में जब भी कुछ नया खरीदने की बात होती, मां कहती- अब तो नये जूते ले लो। लेकिन, पापा यह कह कर टाल देते कि अभी कुछ दिन और चल जाएगा!


लड़के की आंख भर आई। उसने सीधे डायरी का आखिरी पन्ना पलट दिया। उसमें एक दिन पहले की तारीख लिखी थी और नीचे लिखा था- 50,000 रुपये, बेटे की बाइक के लिए।


लड़के का दिमाग सुन्न होने लगा था। उसने फटे जूते वहीं फेंक दिये और नंगे पांव घर की ओर भागा। घर पहुंचा, तो पिता वहां नहीं थे। उसे तुरंत समझ में आ गया कि पिता कहां गये होंगे! वह भागता हुआ बाइक की दुकान पर पहुंचा। उसके पिता वहीं थे। उसने दौड़ कर पिता को गले लगा लिया! उसके पश्चाताप के आंसू रुक नहीं रहे थे।


इससे पहले कि पिता कुछ अंदाजा लगा पाते कि यह क्या हो रहा है, लड़के ने सीधे-सीधे कहा, पापा मुझे बाइक नहीं चाहिए। आप अभी चल कर नये जूते खरीदिए और मैं बाइक तब खरीदूंगा, जब खुद कमाने लगूंगा।...




जी हां दोस्तों, पापा होते ही हैं ऐसे,


अपनी इच्छाओं का गला घोंट कर,


बच्चों के सपने पूरे करने के लिए जुटाते हैं पैसे...




इस कहानी में पिता के प्रति व्यक्त भावनाओं ने अगर आपके दिल को किंचित मात्र भी छुआ हो, तो आज Father’s Day के मौके पर अपने पिता के त्याग का दिल खोल कर स्वागत करिए और उन्हें कुछ ऐसा उपहार देने का प्रयास करिए, जिसकी इच्छा को कभी उन्होंने आपके सपनों के बोझ दले दबा दिया था।


यह थी GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी अपील।




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