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अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर-कान्तियुते
श्रित-रजनी-रजनी-रजनी-रजनी-रजनीकर-वक्त्रवृते ।
सुनयन-विभ्रमर-भ्रमर-भ्रमर-भ्रमर-भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

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अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर-कान्तियुते

श्रित-रजनी-रजनी-रजनी-रजनी-रजनीकर-वक्त्रवृते ।

सुनयन-विभ्रमर-भ्रमर-भ्रमर-भ्रमर-भ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥