दलित संघठनकर्ता शिव कुमार जिन्होंने बाल मज़दूरी करते हुए पढ़ाई पूरी की हरयाणा के औद्योगिक क्षेत्र् में मज़दूरी, और क़ानूनी व्यवस्था में मज़दूर हक़ों के संघर्ष के घटते दायरे का ज्वलंत विवरण करते है। 
सोनीपत के देवरू गाँव के एक भूमिहीन परिवार में जन्मे शिव कुमार की नयी किताब मेहनतकश वर्ग द्वारा पिछले दो सालों में झेली गयी अनेको तरह की हिंसा का एक व्यक्तिगत खाता है – सामाजिक सुरक्षा का आभाव, जान बचाने के नाम पर लगाए गए सरकारी लाक्डाउन में इस क्षेत्र के दिहाड़ी मज़दूरों के परिवारों को दिनों तक भूखा छोढ़ दिया जाना, वह आठ से दस घंटे खड़े हो कर काम करने के बावजूद भी सामान्य हो चुकी न्यूनतम मज़दूरी की चोरी।

बात मुलाकात के इस एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने शिव कुमार से उनकी किताब और उनके निजी जीवन के बारे में चर्चा की। 

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